अग्रवाल समाज के आदि पुरुष, समाजवाद के सच्चे प्रणेता और सेवा-सहयोग के प्रतीक — महाराजा अग्रसेन जी का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उन्होंने जिस सिद्धांत — ‘एक रुपया, एक ईंट’ — की स्थापना की, वह केवल आर्थिक सहयोग का नहीं, बल्कि मानवता, समानता और सामूहिक विकास का संदेश देने वाला था।
🌾 समाजवाद का भारतीय स्वरूप : ‘एक रुपया, एक ईंट’ का सिद्धांत
कहा जाता है कि जब अग्रोहा नगरी में भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी, तब महाराजा अग्रसेन जी ने अपने नगरवासियों के बीच भ्रमण किया। उन्होंने देखा कि हर घर में कष्ट, भूख और असहायता का माहौल था। ऐसे कठिन समय में उन्होंने देखा कि एक परिवार में जब एक अतिथि आया और भोजन की कमी थी, तब उस परिवार के चार सदस्यों ने अपनी-अपनी थालियों से थोड़ा-थोड़ा अन्न निकालकर अतिथि के लिए एक नई थाली तैयार की।
यही दृश्य देखकर महाराजा अग्रसेन जी के मन में समाज के लिए आपसी सहयोग और साझेदारी का अद्भुत विचार जन्मा — “जब हर व्यक्ति थोड़ा-थोड़ा त्याग करे, तो किसी को भी जीवन में अभाव का सामना नहीं करना पड़े।”
इसी सोच से उन्होंने ‘एक रुपया, एक ईंट’ का सिद्धांत स्थापित किया।
🧱 सिद्धांत का सार
इस सिद्धांत के अनुसार, अग्रोहा नगर में यदि कोई नया परिवार बसने आता था, तो नगर के प्रत्येक परिवार को उसे एक रुपया और एक ईंट देना अनिवार्य था।
- उस ईंट से नया परिवार अपना घर बना सकता था, और
- उस रुपये से वह अपने व्यापार की शुरुआत कर सकता था।
इस सरल किन्तु क्रांतिकारी विचार ने नगर को समाजवाद की जड़ों से जोड़ा, जहां हर व्यक्ति का हित, पूरे समाज का हित बन गया। यही कारण है कि महाराजा अग्रसेन को आज ‘भारतीय समाजवाद का अग्रदूत’ कहा जाता है।
🕊️ सेवा, करुणा और समानता के प्रतीक
महाराजा अग्रसेन जी केवल एक शासक नहीं थे, वे एक युग पुरुष, करुणामयी नेता और रामराज्य के समर्थक थे। उन्होंने सदैव जनकल्याण को अपनी नीति का मूल आधार बनाया। उन्होंने सिखाया कि समाज की समृद्धि, सहयोग और सहअस्तित्व में ही निहित है।
🙏 आज के समय में अग्रसेन जी की शिक्षाएं
आज के आधुनिक युग में जब प्रतिस्पर्धा और स्वार्थ की भावना बढ़ रही है, तब महाराजा अग्रसेन का यह संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है —
“यदि समाज के प्रत्येक व्यक्ति में सहयोग की भावना होगी, तो कोई भी परिवार पीछे नहीं रहेगा।”
महाराजा अग्रसेन जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सफलता तभी सार्थक है, जब उसमें समाज का हित शामिल हो।
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महाराजा अग्रसेन जी की ‘एक रुपया, एक ईंट’ की नीति केवल इतिहास नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत संदेश है।
यह हमें बताती है कि एकता, सेवा और समानता से ही एक मजबूत समाज और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव है।
आओ, हम सभी यह संकल्प लें —
“हम भी समाज में सहयोग, सेवा और सद्भाव की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।”
जय महाराजा अग्रसेन! 🙏
जय अग्रोहा ! 🪔